भिंडी से ऐसे कंट्रोल करें डायबिटीज, जानें खास नुस्खे
भिंडी खाने में जितनी स्वादिष्ट लगती है, उतनी ही गुणों से भरपूर भी है। भिंडी भारतीयों द्वारा सबसे अधिक पसंद की जाने वाली सब्जियों में से एक है। इसका वानस्पतिक नाम एबेल्मोस्कस एस्कुलेंट्स है। सामान्यत: लोग इसे सिर्फ एक सब्जी के तौर पर देखते है, लेकिन आदिवासी इलाकों में इसे अनेक तरह की बीमारियों के इलाज में उपयोग लाया जाता है। भिंडी में विटामिन और खनिजों सहित विटामिन ए, बी, सी, ई और के और कैल्शियम, लोहा और जस्ता आदि पाया जाता है। इसके अलावा, भिंडी में उच्च स्तर का लसदार फाइबर भी होता है।
1. डायबिटीज के रोगियों को अक्सर भिंडी की अधकच्ची सब्जी खानी चाहिए। डांग- गुजरात के हर्बल जानकारों के अनुसार ताजी हरी भिंडी डायबिटीज में बेहद लाभदायक होती है।
2. भिंडी के बीजों का चूर्ण (5 ग्राम), इलायची (5 ग्राम), दालचीनी की छाल का चूर्ण (3 ग्राम) और काली मिर्च (5 दाने) लेकर अच्छी तरह से कूट ले। इस मिश्रण को रोजाना दिन में 3 बार गुनगुने पानी में मिलाकर लें। डायबिटीज में तेजी से फायदा होता है।
3. कुछ इलाकों में भिंडी के कटे हुए सिरों को पीने के पानी में डुबो कर सारी रात रखा जाता है। सुबह खाली पेट इस पानी को पी लिया जाता है। छानने के बाद बचे भिंडी के हिस्सों को फेंक दिया जाना चाहिए। माना जाता है कि डायबिटीज नियंत्रण के लिए यह एक कारगर उपाय है।
4. भिंडी के बीजों को एकत्रित कर लें। इन्हें सुखाकर पीस लें। ये बीज प्रोटीनयुक्त होते हैं और उत्तम स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं। इस चूर्ण को बच्चों को खिलाने पर ये टॉनिक की तरह काम करेगा।
5. मध्य प्रदेश के पातालकोट के भुमका (हर्बल जानकार) नपुंसकता दूर करने के लिए पुरुषों को कच्ची भिंडी को चबाने की सलाह देते हैं। ये आदिवासी शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए भिंडी को बेहतर मानते हैं।
6. भिंडी को बीच से काट लें (लगभग 5 भागों में), नींबू रस (आधा चम्मच), अनार और भुई आंवला की पत्तियां (5-5 ग्राम) आदि को 1 गिलास पानी में डुबोकर रात भर के लिए रख दें।
अगली सुबह सारे मिश्रण को अच्छी तरह से पीसकर रोजाना लगातार 2 बार सात दिनों तक लें। जानकारों की मानी जाए तो पीलिया जैसा घातक रोग इस से एक सप्ताह में ही नियंत्रित हो जाता है। बुखार और सर्दी-खांसी में भी ये दवा रामबाण है।
7. करीब 50 ग्राम भिंडी को बारीक काटकर 200 मिली पानी में उबालें। जब यह आधा बच जाए तो इसे सिफलिस के रोगी को दें। एक महीने तक लगातार ये नुस्खा अपनाना चाहिए।
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